Tahajjud Ki Namaz Ki Niyat । तहज्जुद की नमाज़ की नियत और नियत का तरीका

आज यहां पर आप Tahajjud Ki Namaz Ki Niyat हिंदी और अरबी में जानेंगे हमने यहां पर तहज्जुद की नमाज़ की नियत हिंदी और अरबी नियत भी हिंदी के साफ़ और आसान लफ़्ज़ों में बताया है।

यहां पढ़ने के बाद आप बहुत ही आसानी से तहज्जुद की नमाज़ की नियत कर पाएंगे यकीनन इसके बाद फिर आपको कहीं पर भी तहज्जुद की नियत नहीं तलाशनी पड़ेगी इसीलिए आप यहां ध्यान से पुरा पढ़ें।

Tahajjud Ki Namaz Ki Niyat

यहां तहज्जुद की नमाज़ की नियत हिंदी और अरबी नियत भी हिंदी में बताई गई है साथ ही तहज्जुद की नियत का तरीका भी बताया गया है पढ़ कर समझ लें।

तहज्जुद की नियत हिंदी में

नियत की मैने 2 रकात नमाज़ तहज्जुद कि नफ्ल की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

तहज्जुद की नियत अरबी में

नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल नफ्ली मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश शरीफती अल्लाहू अकबर।

तहज्जुद की नमाज़ की नियत कैसे करें?

तहज्जुद की नमाज़ की नियत आप इस तरह से करें कि सबसे पहले आप मक्का की रूख करके खुद खड़े हो जाएं इसके बाद नियत पढ़ें।

नियत आप अल्फाज के जरिए पढ़ सकते हैं तो पढ़ें नहीं तो दिल में इरादा रखें कि ये नमाज़ तहज्जुद की अपने रब की रजा और अपने मुराद के लिए पढ़ रहा हुं।

इसके बाद यहां पर आपकी नियत का प्रोसेस हो जाएगा इसके बाद आप नियत बांधेंगे इसका भी तरीका नीचे बताया हुआ है समझ लें।

तहज्जुद की नमाज़ की नियत कैसे बांधे?

तहज्जुद की नमाज़ की नियत मुकम्मल पढ़ने के बाद अल्लाहू अकबर कहते हुए अपने हाथों को कानों तक उठाएं और कान की लौ छू कर हांथ नीचे लाएं।

हांथ को नीचे ला कर अगर आप औरत हैं तो आप नियत सीने पर बांधे लेकीन अगर पुरुष हैं तो आप अपना नियत नाफ़ के नीचे बांधे।

इस तरह से कि पहले बायां हाथ की हंथेली नीचे रखेंगे इसके उपर में दाहिनी हंथेली रखेंगे और उपर नीचे से एक एक उंगली से नीचे की हांथ पकड़ लेंगे।

यहां पर ध्यान दें उपर में सिर्फ तीन उंगली ही रहना चाहिए और नियत आपको कलाई पर बांधनी है यानी उंगली से कलाई पर पकड़नी है।

अंतिम लफ्ज़

मेरे प्यारे मोमिनों आप भी इस बात को अब तक तो जान ही गए होंगे तहज्जुद की नमाज़ की नियत और तहज्जुद की नियत का तरीका यहां पर नियत दोनों भाषाओं में लिखी हुई थी जिसे आप को जो कंफर्टेबल लगे उसी का यूज करके नमाज़ शुरू आसानी से कर सकें।

एक बात पर आप भी शायद गौर किए होंगे की हम तहज्जुद की नियत में नफ्ल क्यों बोल रहे हैं तो ये नफ्ल ही है इसका वक्त और इसे अदा करने का तरीका ही इसे खासियत और तहज्जुद बताती है नहीं तो सब आपको इसका नमाज़ में भी कॉमन ही पढ़ने की होती है।

हमारी बातों को आप समझ गए होंगे अगर समझने में दिक्कत आ रही हो तो भी कोई बात नहीं आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें, पढ़ने और समझने से बेहतर अमल में ला कर तरक्की पाएं साथ ही ऐसे इल्म को ज्यादा तादाद में लोगों तक फैला कर सवाबे आखिरत का मुस्तइक बने।

Shah Noor is an Islamic scholar and educator with expertise in Islamic knowledge, including Quranic studies, Hadith, and Islamic law. He has over six years of experience in teaching and writing about Islamic theology.