Namaz Ki Sharait Kitni Hai । नमाज की शराईत कितने हैं?

आज यहां पर आप Namaz Ki Sharait Kitni Hai इसका जवाब जानेंगे हमने यहां पर नमाज के शराइत के साथ साथ इसका बयान भी हिंदी के बहुत ही आसान और साफ़ लफ्ज़ों में डिटेल्स में एक्सप्लैन किया है।

इसे पढ़ने के बाद आप बहुत ही आसानी से नमाज के सभी शर्त डिटेल्स में समझ जाएंगे जिसे आप आसानी से शर्त सहित नमाज मुकम्मल कर सकेंगे तो पूरा लेख ध्यान से आख़िर तक पढ़ें और समझें।

Namaz Ki Sharait Kitni Hai

नमाज की 6 शराइत निम्नलिखित है:

  1. तहारत
  2. सत्रे औरत
  3. इस्तिकबाले किब्ला
  4. वक्त का होना
  5. नियत
  6. तहरीमा

आप ने जाना कि नमाज में 6 शराइत है पहली शर्त तहारत यानी पाक होना, दुसरी बदन का जरूरी का हिस्सा ढका होना, तीसरी किब्ला का रुख होना चौथा नमाज के लिए वक्त का होना, पांचवां शर्त नमाज के लिए दिल में नेक और पक्का इरादा होना, छठा और आखिरी शर्त तकबीरे तहरीमा है।

आईए अब एक एक नमाज की शर्त को डिटेल्स में जानते हैं कि यह शर्तें कैसी है और किस तरह से इस पर अमल करके हमें नमाज अदा करना चाहिए।

#1. पहली शर्त तहारत

तहारत मतलब पाकी यानी कि नमाज पढ़ने वाले का पुरा बदन पाक होना कपड़े और बदन पर किसी तरह का नजासत नहीं होना चाहिए।

इसके बाद जहां पर नमाज अदा करना हो उस जगह का भी पाक होना चाहिए इसके साथ साथ मुसल्ला भी पाक व साफ़ होना चाहिए।

#2. दुसरी शर्त सत्रे औरत

नमाज की दुसरी शर्त सत्रे औरत यानी बदन का वह हिस्सा जिसका छुपाना फर्ज है पुरुष हजरात को नमाज पढ़ने के लिए नाफ के नीचे से घुटनों तक छिपाना फर्ज है।

अगर औरत नमाज पढ़ें तो उन्हें चाहिए कि अपने सारे बदन को सिवाए मूंह, हंथेलियां, पांव छुपा लें यहां तक कि बाल वगैरह भी नहीं दिखना चाहिए।

#3. तीसरी शर्त इस्तिकबाले किब्ला

हम सभी जानते हैं यह बहुत मशहूर और आम बात है कि नमाज पढ़ने के लिए काबा शरीफ की जानिब रूख होना चाहिए यह हमारे रब का फ़रमान है।

लेकिन अगर काबा शरीफ के अन्दर नमाज पढ़ेंगे तो किसी ओर भी अपना रूख कर सकते हैं लेकिन काबे के बाहर काबा की जानिब जरूरी है।

#4. चौथी शर्त वक्त का होना

इसका मतलब नमाज का सही वक्त होना यानी जिस वक्त की नमाज का वक्त हो उसी वक्त में नमाज पढ़ें और मकरूह वक्त में कोई भी नमाज नहीं पढ़ी जाती।

आप भी शायद जानते होंगे कि नमाज ईमान वालों पर फर्ज है वक्त मुकर्रर किया हुआ है यह हमारे रब अल्लाह तआला का फ़रमान है।

#5. पांचवीं शर्त नियत

पांचवीं शर्त नियत यानी दिल से नमाज के लिए पक्का इरादा होना चाहिए नियत इसे ही कहते हैं ऐसा नहीं की सिर्फ नमाज को जानना ही काफ़ी है।

नियत जबान से न हो तो भी नमाज हो जाएगा लेकिन दिल में पक्का इरादा होना चाहिए किसी ने जोहर में असर की नियत करली तो भी कोई हर्ज नहीं।

यहां तक जो भी हमने पांच शर्तें बयां की इन पहली पांच शर्तों को तकबीरे तहरीमा से लेकर नमाज खत्म होने तक मौजूद होना जरूरी है।

#6. छठी शर्त तकबीरे तहरीमा

यह शर्त नमाज की फर्ज में भी आती है और अल्लाह तआला का फरमान है कि नमाज के शुरू में अल्लाहू अकबर कहना नमाज का शर्त है।

लेकिन जनाजे की नमाज में तकबीरे तहरीमा रुक्न है इसके अलावा सभी नमाज में शर्त है हमारे हुजूर भी अल्लाहू अकबर से नमाज़ शुरू फरमाते।

अंतिम लफ्ज़

मेरे प्यारे मोमिनों आप ने अब तक तो नमाज के शराइत समझ ही गए होंगे अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमसे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं और इस बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच शेयर करें जिसे वो भी नमाज के सभी शराइत जान सकें।

एक बात और अगर कहीं पर आपको गलत लगा हो या कहीं कुछ छूट गई हो तो भी आप हमें कॉमेंट करके इनफॉर्म करें ताकि हम अपनी गलतियां सुधार सकें हम सब से छोटी बड़ी गलतियां होती रहती है इस के लिए आप को हम सब का रब जरूर अज्र देगा इंशाल्लाह तआला।

Shah Noor is an Islamic scholar and educator with expertise in Islamic knowledge, including Quranic studies, Hadith, and Islamic law. He has over six years of experience in teaching and writing about Islamic theology.

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